विश्व दाल दिवस : भारत में सबसे पहले मूंग दाल की खेती 2200 ईसवी में शुरू हुई थी, पढ़ें दालों का इतिहास

भोपाल। हम मूंग सहित अन्य दालें लगभग रोज खाते हैं। चावल के साथ दाल नहीं हो तो स्वाद अधूरा। डाक्टर मरीजों को मूंग दाल की खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं। लेकिन दाल कब पैदा हुई यह सवाल मन में कभी जरूर आया होगा। आइये हम मूंग, तुअर सहित अन्य दालों के इतिहास के बारे में जानें।
मूंग दाल: भारत में सबसे पहले मूंग पैदा हुई। इसकी खेती की शुरुआत ईसा पूर्व 2200 ईसवी में हुई। आयुर्वेद ग्रंथ चरक संहिता में इसका उल्लेख मिलता है। इसमें दाल की खिचड़ी और सूप के बारे में बताया गया है। इसके अलावा बौद्ध साहित्य में भी मूंग की दाल का उल्लेख मिलता है। एसा माना जाता है कि सबसे पहले मूंग दाल भोजन में शामिल हुई‍े। एक अनुमान के अनुसार दालो में तीन से चार प्रतिशत प्रोटीन और विटामिन मिलता है।

अरहर ( तुअर) दाल: माना जाता है कि भारत में तुअर की खेती तीन हजार वर्ष से होती आ रही है। भारत में इसके पौधे जंगलों में नहीं पाए जाते हैं, जबकि अफ्रीका में इसके जंगली पौधे होते हैं। इस वजह से इसका उत्पत्ति स्थल अफ्रीका माना जाता है। संभवत: अफ्रीका से इसका बीज एशिया में लाया गया है। दलहन प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है जिसको आम जनता भी खाने में प्रयोग करते हैं, लेकिन भारत में की पैदावार जरूरत के अनुरूप नहीं है। यदि प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ानी है तो दलहनों की पैदावार बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्नतशील प्रजातियां और उनकी उन्नतशील कृषि विधियों का विकास करना होगा।

मप्र में मूंग, चना, उड़द व अरहर का ज्यादा उपयोग

मप्र में मूंग, उड़द, तुअर मुख्य रूप से उगा जाती है और खाइ जाती है। सबसे अच्छी तुअर दाल नमदापुरम जिले के पिपरिया की मानी जाती है, जिसे पिपरिया दाल के नाम जाना जाता है। तुअर दाल को दालों का राजा कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन ने दालों में महत्व को समझते हुए 2013 में एक प्रस्ताव पारित किया था। 2016 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया था और 2019 से प्रतिवर्ष 10 फरवरी को दलहन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

मप्र कृषि उत्पादन में अव्वल

मध्य प्रदेश कृषि उत्पादन के क्षेत्र में देश में कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। सात बार प्रदेश को कृषि कर्मण अवॉर्ड से सम्मनित किया जा चुका है। प्रदेश को सोया स्टेट भी कहा जाता है। गेहूं और दलहनों के उत्पादन के लिए प्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

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