गजल गायक पंकज उधास का निधन, ‘चिट्ठी आई है’ से मिली थी पहचान

file photo

मशहूर गजल गायक पंकज उधास का सोमवार को 72 साल की उम्र में निधन हो गया। उधास परिवार ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। पंकज लंबे समय से बीमार थे। आज सुबह 11 बजे उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली।

सिंगर सोनू निगम ने पंकज उधास के लिए इंस्टाग्राम पोस्ट कर लिखा, “मेरे बचपन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा आज खो गया है। श्री पंकज उधास जी, मैं आपको हमेशा याद करूंगा। यह जानकर मेरा दिल रोता है कि आप नहीं रहे। जीवन का हिस्सा होने के लिए आपका शुक्रिया, शांति।

माता-पिता को था संगीत का शौक
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। वे तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। परिवार राजकोट के पास चरखाड़ी नाम के कस्बे में रहता था। उधास के दादा जमींदार थे और भावनगर राज्य के दीवान भी थे। पिता केशुभाई उधास सरकारी कर्मचारी थे, उन्हें इसराज बजाने का बहुत शौक था। वहीं उनकी मां जीतूबेन उधास को गानों का बहुत शौक था। यही वजह थी पंकज उधास समेत उनके दोनों भाइयों का रुझान संगीत की तरफ हमेशा से रहा।

भाईयों के बाद पंकज ने भी संगीत चुना
पंकज के दोनों भाई मनहर और निर्जल उधास म्यूजिक इंडस्ट्री में काफी नाम कर लिया था। दोनों भाईयों की सक्सेस से उधास के माता-पिता को लगा कि पंकज भी अपने भाइयों की तरह संगीत में करियर बना सकते हैं। पंकज का एडमिशन राजकोट की संगीत एकेडमी में करा दिया गया।

पंकज उधास को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

माता की चौकी में गाने के मिले 51 रुपए
भारत-चीन युद्ध के दौरान लता मंगेशकर का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना रिलीज हुआ था। पंकज को ये गाना काफी पसंद आया था। जिसके बाद उन्होंने इस गाने अपने हिसाब से तैयार किया। पंकज की गायिकी को देखते हुए स्कूल प्रिंसिपल ने उन्हें प्रेयर टीम का हेड बना दिया। एक दिन प्रिंसिपल ने उन्हें अपनी कॉलोनी में माता की चौकी में गाने के लिए कहा। पंकज ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना गाया। एक दर्शक ने खुश होकर उन्हें इनाम में 51 रुपए दिए।

बॉलीवुड में कामयाबी नहीं मिली तो देश छोड़ा
संगीत की पढ़ाई के बाद पंकज बॉलीवुड में अपनी जगह बनाना चाहते थे। 4 साल तक उन्हें कोई बड़ा काम नहीं मिला। फिल्म कामना में खुद के लिखा एक गाना गाया, लेकिन इससे उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली। इतने साल संघर्ष के बाद वे दुखी होकर विदेश चले गए।

जब काम मिला तो ऑफर ठुकराया
विदेश में पंकज के करियर को नई राह मिली। इसी दौरान प्रोड्यूसर राजेंद्र कुमार उनके गानों से काफी इम्प्रेस हुए। उन्होंने पंकज को फिल्म में गाने का मौका दिया और कैमियो के लिए भी कहा। लेकिन पंकज ये ऑफर ठुकरा दिया।
जब इस बारे में राजेंद्र कुमार ने उनके भाई मनहर को बताया तो मनहर ने पंकज से बात की। उनके समझाने पर पंकज ने राजेंद्र कुमार के असिस्टेंट को कॉल किया और ऑफर एक्सेप्ट करने की बात कही। इसके बाद उन्होंने फिल्म नाम में गजल ‘चिट्ठी आई है’ को अपनी आवाज दी। इस गजल से उन्हें काफी पॉपुलैरिटी मिली। इस गजल की एडिटिंग डेविड धवन ने की थी।

जब पंकज की गजल सुनकर रो पड़े राज कपूर
राजेंद्र कुमार और राज कपूर कफी अच्छे दोस्त थे। एक दिन राज कपूर राजेंद्र कुमार के घर डिनर पर गए। डिनर के बाद राजेंद्र ने पंकज उधास की आवाज में राज कपूर को चिट्ठी आई है, गजल सुनाई। इसे सुनते ही वे रो पड़े। उन्होंने कहा कि इस गजल को कोई और नहीं गा सकता।

बंदूक की नोक पर सुनाई थी गजल
पंकज ने गजल के लिए उर्दू सीखी। एक बार स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान एक दर्शक उनके पास आ गया। वह एक गजल की फरमाइश करने लगा। उसका बर्ताव देख पंकज ने गाने से मना कर दिया। उस दर्शक ने पंकज पर बंदूक तान दी और गाने के लिए कहा। पंकज को मजबूरन उसकी फरमाइश पूरी करना पड़ी।

मुस्लिम लड़की से की थी शादी
पंकज ने 11 फरवरी 1982 को फरीदा से शादी की थी। एक कॉमन फ्रेंड की शादी में दोनों की मुलाकात हुई थी। पंकज को पहली नजर में ही फरीदा पसंद आ गई थीं। उस वक्त वो ग्रेजुएशन कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं। पहले दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार। दोनों शादी करना चाहते थे। पंकज के परिवार वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था।

जब फरीदा ने इस रिश्ते की बात अपने परिवार को बताई, तो उन्हें ये रिश्ता मंजूर नहीं था। वो दूसरे धर्म में अपनी लड़की की शादी नहीं कराना चाहते थे। फरीदा के कहने पर पंकज उनके घर गए और उनके पिता से अपने रिश्ते की बात की। फरीदा के पिता रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे, इस वजह से पंकज बहुत डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने अपनी बातों से उनका दिल जीत लिया। फरीदा के पिता दोनों की शादी के लिए मान गए। जिसके बाद दोनों की शादी हुई। दोनों की दो बेटियां नायाब और रेवा हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *