इंदौर। दो दिन पहले कोटा में पढ़ाई कर रही शिवपुरी की छात्रा के अपहरण और तीस लाख रुपये फिरौती मांगने के मामले से दो राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में हडक़ंप मच गया था, लेकिन छात्रा कोटा में नहीं, इंदौर में रह रही थी। उसने ही इंदौर में रहते हुए अपने अपहरण की झूठी साजिश रचते हुए पिता को मैसेज और अपने हाथ-पैर बंधे फोटो भेजे थे।
छात्रा के पिता ने 18 मार्च को इस मामले की शिकायत पुलिस को की। रघुवीर ने पुलिस को बताया था कि 18 मार्च को दोपहर तीन बजे मेरे मोबाइल पर बेटी की किडनैपिंग का मैसेज आया था। बेटी के हाथ-पैर और मुंह बंधी फोटो भी बदमाशों ने भेजी थी। उसे जिंदा छोडऩे के एवज में 30 लाख रुपये की फिरौती मांगी गई। छात्रा पढ़ाई करने के लिए कोटा गई थी, वहां से सीधे वह इंदौर अपने दोस्त के पास आ गई थी। इंदौर से ही दोनों ने यह मैसेज रघुवीर को भेजा था।
इसलिए छात्रा ने दोस्त संग रची साजिश
छात्रा को उम्मीद थी कि पिता पैसे दे देंगे। इसके बाद दोनों विदेश जाने की तैयारी कर रहे थे। छात्रा और उसके दोस्त हर्षित का एक सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिल गया है। पुलिस ने इंदौर से दो युवकों को हिरासत में लिया है। इनके नाम गजेंद्र और अमन हैं। मंगलवार को एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोतिया से राजस्थान पुलिस ने संपर्क किया। टीम ने बताया कि छात्रा की लोकेशन अधिकतर इंदौर में मिल रही थी। इसकी पुष्टि होने के बाद तत्काल एसआई बलराम रघुवंशी और एसआई मंगल सिंह बघेल की टीमों को जांच में लगाया गया। एक टीम मोबाइल लोकेशन और अन्य डाटा के आधार पर भोलाराम उस्ताद मार्ग पर पहुंची। यहां से गजेंद्र और अमन को उठा लिया। गजेंद्र ने बताया कि युवती ने उसके रूम के किचन में ही पूरे फोटो, वीडियो तैयार किए थे। यहां हर्षित भी मौजूद था। छात्रा ने वीडियो बनवाने के बाद उसे अपने पिता के मोबाइल पर भेजा था। वह खुद पिता से चैंटिग भी कर रही थी। जब खबर पुलिस तक पहुंची तो दोनों इंदौर छोडक़र चले गए। हर्षित और गजेंद्र सागर के रहने वाले हैं।
इंदौर में रह रही थी, पिता को लगा कोटा में है
पुलिस जांच में सामने आया कि छात्रा कोटा में पढ़ती नहीं थी और न ही वह यहां किसी हॉस्टल या पीजी में रहती थी। वहीं, छात्रा के पिता का कहना है कि वह बीते साल अगस्त में कोचिंग करने के लिए कोटा गई थी। कोटा सिटी एसपी अमृता दुहन ने बताया कि छात्रा कोचिंग में एडमिशन के लिए कोटा जरूर आई थी और यहां 4-5 दिन रुकी भी थी, पर यहां से वह इंदौर चली गई, फिर वापस नहीं आई।