अनेकता में एकता नहीं, ‘अनैतिकता’ में एकता!

राजीव खंडेलवाल(लेखक वरिष्ठ कर सलाहकार एवं बैतूल के पूर्व सुधार न्यास अध्यक्ष है) विश्व में भारत की पहचान के रूप में एक कथन अभी तक कहा जाता रहा है ‘‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनेकता में एकता भारत की पहचान है’’। यह बात या नारा विभिन्न संस्कृति, धर्म, भाषा, वेशभूषा, रहन-सहन आदि को लेकर कही जाती…

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